Dussehra Special – दशहरा क्यों मनाया जाता है !

Dussehra Holiday in 2018 | When is Dussehra
dussehra kab manaya jata hai 

Dussehra – Special Festival Dussehra 2018 —

हिन्दू पचांग के नुसार अश्विनमास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजया-दशमी के दिन दशहरा मनाया जाता हैं , जो दिपावली के 20-22 दिन पहले आती हैं । जों तीथी नुसार होती हैं. इस बार दशहरा मनाया जायेगा Friday, 19 October

माँ दुर्गादेवी के पवित्र नौं दिन बाद दशवे दिन दशहरा मनाया जाता हैं । जो पूरें भारत में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता हैं ।
इस दिन माँता दुर्गादेवी ने भी महिषासुर का वध किया था, dussehra kab manaya jata hai

भगवान राम और ज्ञानी रावण —

जब भगवान राम को अयाध्या नगरी छोड़कर 14 साल के लिए वनवास जाना पड़ा और उसी वनवास काल में रावण ने भेष बदलकर माँता सीता का अपहरण किया था ।
रावण को अपने उपर बहोत घमंड़ था । और वह अहंकारी भी था । क्योंकि वह ज्ञानी था और साथ नें शिव भक्त था ।

भगवान राम नें सीता को वापस लानें के लिए नौं दिन तक युध्द किया और साथ में शक्तिप्राप्त करने के लिए माँ दुर्गा की भी पूजा आरधना करते रहें ।

राम भक्त हनुमान और वानर सेना , और रावण के छोटे भाई विभिषण भी भगवान राम का साथ दिया ।अंत में भगवान ने नौं दिन तक रावण से युध्द कर दसवें दिन रावण का अंत किया याने बुराई पर अच्छाई की जीत हुअी ।

दशहरा कैसे मनाते हैं ? – Dussehra kab manaya jata hai

 

  •  दशहरे वाले दिन हर कोई अपने घर में रख् सामान की पूजा करते हैं ।
    जैसे – इलेक्ट्रानिक सामान , लोहें के सामान , Students अपनी Book की पूजा करतें हैं । दुकान दार अपने तराजू वगैरेहं की पूजा करते हैं ।
  •  कहीं घर में तो नये वाहन की खरीदारी होती हैं ।
  •  हर घर में जीतने भी छोटे बच्चे ( School or college going ) बड़ों से सोना पत्ती देकर उनका आशिर्वाद प्राप्त करते हैं ।

दशहरा –

कहीं – कहीं स्थानों पर दशहरा का मेला लगता हैं । और रावण का पूतला बनाकर उसे कोई नाटकरूप राम का अवतार लेकर तीर-बाणों से रावण का अंत किया जाता हैं / जलाया जाता हैं ।

इस तरह भगवान राम ने रावण का अंत कप यह संदेश देते हैं की , ” बुराई जादा समय तक नहीं रहती हैं , उसका अंत होता ही हैं ” ।

ध्यान देने योग्य बातें —

आजकल की भागदौड़ भरी जिदंगी में हर कोई एक दूसरें से दूर होते जा रहें हैं । रिश्ते नाते सब दिखावा हो गया हैं । इस त्यौहार के कारण ही एक दुसरें से मिल पातें हैं । इसलिए हर त्यौंहार अपनें घर और अपनें रिश्तें दारों के साथ ही मनाना चाहिएं । वो बहाने हम सब एक दुसरें से मिल लेते हैं ।

By – motivatblog.in

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