पुराणों में नारी की पूजा सबसे पहले की जाती थी। लेकिन कलयुग के दौर में नारी की स्थिति थोड़ी दयनीय होती जा रही है। वर्तमान में नारी का सम्मान कम अपमान ज्यादा हो रहा है । उसे अब भोग की वस्तु समझकर आदमी उसे अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। यह हम सबके लिए शर्म की बात है जिसे नारी ने मर्द को जन्म दिया है उसी नारी का वह शोषण कर रहा है। लेकिन हमारी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए इस पर हमें विचार करना आवश्यक है ।
“मेरी हर किसी से प्रार्थना है, माँ और बीवी को हमेशा सम्मान दो क्योंकि एक ने तुम्हें जन्म दिया है और दूसरी तुम्हारे लिए अपनों को छोड़ कर आई है”
एक औरत की जीवन में दोहरी भुमिका निभाती है। उसे बच्चों का पालन पोषण और पढ़ाई लिखाई दोनों की बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है,और पुरुष को केवल पढने का काम होता है ।
अगर घर में लड़कियां है उसको मां के साथ घर में काम में भी हाथ बटाना पड़ता है, और वह पढ़ाई में भी किसी से पीछे नहीं रहती ।
इस नजरिए से देखा जाए तो नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर काम करती है ।इसलिए नारी इस तरह ज्यादा सम्मान की हकदार है।
मां का रूप……..
महिला दिवस के दिन औरतों की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है। साथ ही औरतों की तरक्की के विविध पहलुओं पर बातें होतीं हैं। आइए जानते हैं महिला दिवस के बारे में।
दुनिया में धरती पर प्रकृति की सबसे सुंदर रचनाओं में से एक है माँ अर्थात माता का रूप धरती पर पवित्रतम रूप में मां को दुनिया में भगवान से भी बढ़कर माना गया है । क्योंकि राम ,कृष्ण ,गणपति इन को जन्म देने वाली भी एक नारी ही रही है ।
देवकी ,पार्वती और सीता इसी रूप में पूजनीय रही हैं । लेकिन आजकल के दौर में मां को भी कुछ स्वार्थी लोगों ने माँ को भी महत्व देना कम कर दिया है ।लोग अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं और अपनी औलाद और भी बच्चों के लिए मां को भूलते जा रहे हैं । कुछ लोगों की तो बिल्कुल ही हद हो गई अपनी मां को वृद्धाश्रम तक छोड़ देते हैं ।
लेकिन यह बात भी सत्य है जिसने मां का सम्मान किया उसने धरती पर ही स्वर्ग पाया। जिसने मां का अपमान किया उसका सर्वनाश होना तय है।
औरत हूँ कमजोर नही ,
माँ हूँ पर भगवान् नहीं…..
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है 👩”International Women’s Day 2020″
सबसे पहले महिला दिवस न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में श्रमिक संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और इसके बाद सभी आसपास के देशों में फैल गया इसे पूर्वी देशों में भी मनाया जाने लगा ।अब हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन मुख्य उद्देश्य औरतों को वोट देने का अधिकार दिलवाना था ,
क्योंकि इस इससे पहले अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देना का अधिकार नहीं था। रूस की महिलाओं ने इस दिवस पर रोटी और कपड़ों के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला किया था यह हड़ताल इतिहास में दर्ज है। जार ने सत्ता छोड़ी अंतरिम सरकार ने वोट देने का अधिकार दिया। इसलिए
महिला दिवस 8 मार्च मनाया जाता है ।
लड़कियाँ किसी से कम नहीं….. अगर हम आज के समय में नजर डाले लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं। उनको हर क्षेत्र में लड़कों से आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है। पढ़ाई के क्षेत्र में बहुत ही आगे बढ़ रही हैं । हर साल पढ़ाई में लड़कियां अव्वल रहती हैं । जिन लड़कियों को कम आंका जाता था अब वह अपनी मेहनत के बल पर हर क्षेत्र में सफलता अर्जित कर ली है ।
लड़किया किसी से कम नही है इनकी प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए। नारी का सारा जीवन दूसरों की कुर्बानी में ही चला जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन पलता है । लडकियों को बड़ी होने के बाद वो आजादी नही मिलती जो लोग बेटों को देते है।पढ़ाई को लेकर भेदभाव शुरू से ही किया जाता रहा । काम काज में भी हाथ बढ़ाना और पढाई भी जारी रखनी होती है, लड़कियों को और भाई सिर्फ पढ़ते हैं फिर भी नंबर उनसे कम ही लेते हैं । यह क्रम उसका विवाह के बाद भी चलता रहता है ।
विवाह के पश्चात ……
विवाह के बाद औरतों पर और भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है घरवालों की सेवा करने के बाद उसके पास खुद के लिए समय नहीं बचता ,वह कोल्हू के बैल की तरह सारा दिन घर के कामकाज में पिसती रहती है, और संतान के समय के बाद तो और भी जिम्मेवारी बढ़ जाती है। और उसका जीवन अपने लिए कम दूसरों के लिए ज्यादा समर्पित है।
और कई बार इन्हीं सब बातों के चलते औरत अपने अरमानों का गला घोट देती है। इसी तपस्या के कारण औरत को और भी सम्मान का अधिकारी बनाता है।
मां के सस्कार…..
बच्चों को संस्कार देना अगर किसी के बच्चे संस्कारी और गुणकारी हैं, इसका श्रेय मां को ही जाता है । यह हम सब बचपन से सुनते आए हैं माँ ही बच्चों का पहला गुरु होती है। मां के संस्कारों का बच्चे पर नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों ही तरह का इफेक्ट पड़ता है । अगर बच्चे गुणकारी हैं तो इसका श्रेय मां को ही जाता है और अगर किसी का बच्चा दुर्भाग्य से किसी ग़लत आदत का शिकार हो भी जाता है ,तो पिता भी माँ को दोष देने मे देर नहीं लगाता। पर यह हमारे गंदी सोच पर निर्भर करता है कोई भी माँ अपने बच्चे को गलत शिक्षा नही देती ।
बहुत कोशिश की मुझे अपनों ने नजरों से गिराने की लेकिन औरत हूं मुझे आदत है मर्द को जन्म देकर पीड़ा सहने की…. मेरी तरफ से आप सबको महिला दिवस की बधाई हो
🙏🙏🙏🙏
Nice article bro
thank you